बेचे गए घर पर पत्नी और बेटे की मदद से फिर से कर लिया था कब्जा
क्रेता को फंसाने और धन ऐंठने के लिए दर्ज करा दिया था एफआईआर
जौनपुर। मकान बैनामा करने के बाद अपनी पत्नी तथा पुत्र की मदद से कब्जा कर लेने और बैनामा कराने वाले को फंसाने की नीयत से छह माह पूर्व खुद के अपहरण की झूठी एफआईआर कराने के मामले का पर्दाफाश कर पुलिस ने साजिशकर्ता को गिरफ्तार कर लिया है।
कोतवाली में छह महीने पहले शहर के ख्वाजगी टोला मोहल्ला निवासी असलम पुत्र मोहम्मद हनीफ के अपहरण की तहरीर परिजन ने दी। तहरीर के आधार पर पुलिस ने मुकदमा अपराध संख्या 593/17 धारा 120 बी/ 363 भा.द.वि. के तहत दर्ज कर ली। विवेचना के दौरान पुलिस को संदेह हुआ कि मोहम्मद असलम और उसके परिजन ने मिल कर एफआईआर का नाटक रचा है। कथित अपहृत असलम खुद फरार चल रहा है। पुलिस ने सुराग देने के लिए मुखबिर को लगा दिया। मुखबिर की सूचना पर राज कालेज पुलिस चौकी प्रभारी पन्ने लाल ने अपने सहयोगी कांस्टेबल द्वय अजय यादव और ओम प्रकाश की मदद से असलम को मंगलवार को सवेरे करीब साढ़े दस बजे घर पर दबिश देकर बरामद कर लिया।
शहर कोतवाल शशि भूषण राय ने बताया कि सन 2016 में असलम ने अपना मकान शगुफ्ता पत्नी वसीम अहमद को सात लाख रूपये में बेच दिया था। बेचने के बाद असलम ने अपनी पत्नी तथा बेटे के साथ मिल कर रची गई साजिश के तहत मकान पर कब्जा कर लिया। क्रेता से विक्रय मूल्य से अधिक पैसा वसूलने की नीयत से परिजन संग मिल कर खुद के अपहरण की साजिश रच कर विपक्षियों को फंसाने के लिए झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया। योजना के मुताबिक असलम नेपाल के बार्डर पर जाकर मुर्गा काटने और बेचने का धंधा करने लगा। वह वहां से पत्नी के पास घर के खर्च के लिए पैसा भेजने के साथ ही अक्सर फोन कर परिवार की खोज-खबर के साथ ही दर्ज कराए गए झूठे मुकदमे में पुलिस की कार्रवाई के बारे में पूछताछ भी करता रहा। इसकी सूचना मुखबिर से अक्सर मिलती रही। आज जब वह घर पर आया था तो सटीक मुखबिरी पर उसे बरामद कर पुलिस ने पूरे मामले का खुलासा कर दिया।
क्रेता को फंसाने और धन ऐंठने के लिए दर्ज करा दिया था एफआईआर

कोतवाली में छह महीने पहले शहर के ख्वाजगी टोला मोहल्ला निवासी असलम पुत्र मोहम्मद हनीफ के अपहरण की तहरीर परिजन ने दी। तहरीर के आधार पर पुलिस ने मुकदमा अपराध संख्या 593/17 धारा 120 बी/ 363 भा.द.वि. के तहत दर्ज कर ली। विवेचना के दौरान पुलिस को संदेह हुआ कि मोहम्मद असलम और उसके परिजन ने मिल कर एफआईआर का नाटक रचा है। कथित अपहृत असलम खुद फरार चल रहा है। पुलिस ने सुराग देने के लिए मुखबिर को लगा दिया। मुखबिर की सूचना पर राज कालेज पुलिस चौकी प्रभारी पन्ने लाल ने अपने सहयोगी कांस्टेबल द्वय अजय यादव और ओम प्रकाश की मदद से असलम को मंगलवार को सवेरे करीब साढ़े दस बजे घर पर दबिश देकर बरामद कर लिया।
शहर कोतवाल शशि भूषण राय ने बताया कि सन 2016 में असलम ने अपना मकान शगुफ्ता पत्नी वसीम अहमद को सात लाख रूपये में बेच दिया था। बेचने के बाद असलम ने अपनी पत्नी तथा बेटे के साथ मिल कर रची गई साजिश के तहत मकान पर कब्जा कर लिया। क्रेता से विक्रय मूल्य से अधिक पैसा वसूलने की नीयत से परिजन संग मिल कर खुद के अपहरण की साजिश रच कर विपक्षियों को फंसाने के लिए झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया। योजना के मुताबिक असलम नेपाल के बार्डर पर जाकर मुर्गा काटने और बेचने का धंधा करने लगा। वह वहां से पत्नी के पास घर के खर्च के लिए पैसा भेजने के साथ ही अक्सर फोन कर परिवार की खोज-खबर के साथ ही दर्ज कराए गए झूठे मुकदमे में पुलिस की कार्रवाई के बारे में पूछताछ भी करता रहा। इसकी सूचना मुखबिर से अक्सर मिलती रही। आज जब वह घर पर आया था तो सटीक मुखबिरी पर उसे बरामद कर पुलिस ने पूरे मामले का खुलासा कर दिया।
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