विकास भवन परिसर में स्थापित प्रतिमा एक बार पालिश भी न होने से हुई बदरंग
जौनपुर। गुजरात में आधुनिक अखंड भारत के निर्माता लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा स्थापित करने की प्रक्रिया भले ही चल रही हो लेकिन जौनपुर में उनकी प्रतिमा को 18 बरस से छतरी का इंतजार है। जी हां! कलक्टरेट स्थित विकास भवन परिसर में स्थापित सरदार की आदमकद प्रतिमा को आज तक छतरी मयस्सर नहीं हो सकी है। उनके नाम पर राजनीति तक सत्ता सुख लेने वाले राजनीतिक दल न जाने क्यों इस जरुरत की अनदेखी कर रहे हैं।इस प्रतिमा का अनावरण 16 जनवरी 1999 को तत्कालीन अटल बिहारी बाजपेयी सरकार में उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री और लालकृष्ण आडवाणी ने किया था। तब से प्रतिमा उपेक्षित पड़ी है। बस जयंती और पुण्य तिथि पर चंद लोग जाकर माल्यार्पण कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं। आज तक न तो इस प्रतिमा को छतरी नसीब हुई है और न ही एक बार पालिश तक हुई है। नतीजतन प्रतिमा बदरंग हो गई है। छतरी न होने से पंछी बैठ कर मल-मूत्र का त्याग कर देते हैं। आगामी 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की 142 वीं जयंती है। एक सप्ताह से कम समय रह गया है लेकिन अभी तक इस दिशा मेें कुछ होता नजर नहीं आ रहा है। सरकारों की छोड़ें कोई स्वयंसेवी संगठन और उनके अनुयायियों ने भी छतरी और पालिश कराने की सुध नहीं ली है। भाजपा नेता अशोक सिंह प्रतिमा लगने के बाद से ही छतरी लगवाने के लिए शासन और जिला प्रशासन को कई बार पत्र लिख चुके हैं लेकिन किसी स्तर पर अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। देखिए सरदार पटेल का नाम भुना कर सत्ता सुख भोगने वालों को कब उनकी प्रतिमा की सुधि लेने की फुरसत मिलती है।
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