कोतवाली पुलिस ने देवर-देवरानी और जेठ के बेटे को दबोचा
पुरानी रंजिश और रुपये के लेन-देन का विवाद बना था कारण
जौनपुर। शहर कोतवाली क्षेत्र के सुल्तानपुर हाय (शकरमंडी) में ऊषा मौर्य नामक महिला की हत्या किसी गैर ने नहीं अपनों ने ही की थी। इस सनसनीखेज हत्याकांड का पुलिस ने चौथे दिन खुलासा कर देवर, देवरानी और जेठ के बेटे को गिरफ्तार कर लिया है। इस दहला देने वाले हत्या कांड के राजफाश में खोजी कुत्ते ने अहम भूमिका निभाई। ऊषा मौर्या की हत्या पुरानी रंजिश और रुपये के लेन-देन के विवाद में की गई थी।

शहर कोतवाल शशि भूषण राय ने बताया कि त्रिभुवन मौर्य और उसके छोटे भाई लक्ष्मी शंकर के परिवार के बीच पुरानी रंजिश और लेन-देन का विवाद चला आ रहा था। इसे लेकर अक्सर लक्ष्मी शंकर मौर्य के परिवार और त्रिभुवन मौर्य की पत्नी ऊषा के बीच झगड़ा होता था। त्रिभुवन मौर्य ने लक्ष्मी शंकर को एक लाख बीस हजार रुपये उधार दिए थे। लक्ष्मी शंकर मौर्य ने अपनी मां से स्कूल के लिए जमीन की वसीयत बिना घर वालों की रजामंदी के करा ली थी। पता चलने पर त्रिभुवन मौर्य ने वसीयत निरस्त करा दी थी। उधार दिए गए रुपये वापस मांगने और वसीयत निरस्त कराने ने आग में घी का काम किया। घटना के दिन सवेरे भी ऊषा मौर्या और लक्ष्मी शंकर के परिवार के बीच विवाद हो गया था। त्रिभुवन मौर्य के सब्जी लेकर मंडी और उसके बच्चों के स्कूल चले जाने के बाद दंपती ने ऊषा का काम तमाम करने की योजना बना डाली। लक्ष्मी शंकर मौर्य ने अपने बड़े भाई घनश्याम के बेटे अश्विनी उर्फ सोनू मौर्य को भी बुला लिया। तीनों ने मिल कर ऊषा मौर्या की गला रेत कर हत्या कर दी। गेट बंद कर दिया ताकि आवाज बाहर न जाए। पुलिस को गुमराह करने के लिए चोरी या लूट की वारदात दिखाने की गरज से किचन में भरा सिलेंडर लाकर बेड पर आग लगा दी। आलमीरा खोल कर सामान बिखेर दिए। छानबीन में मदद के लिए मौके पर बुलाया गया खोजी कुत्ता जब अंजू मौर्या के घर, किचेन और शरीर के इर्द-गिर्द ही मंडराता रहा, उसी समय पुलिस को उस पर संदेह हो गया था लेकिन पारिवारिक सदस्य होने के नाते शहर कोतवाल शशि भूषण राय ने तुरंत हाथ नहीं डाला। पुख्ता सुबूत जुटाने के बाद आरोपियों को धर दबोचा। पुलिस ने आरोपियों का चालान कर दिया है।
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