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Saturday, 21 October 2017

एक साथ तीन चिताएं जलीं, लोगों का फटा कलेजा



शुक्रवार को थानागद्दीके नाऊपुरमें डंफरकी चपेटमें आनेसे हुई थी दंपती और बेटे की मौत


क्रुद्ध भीड़ के रास्ता जाम करने से 3 घंटे ठप रहा वाराणसी-थानागद्दी मार्ग पर आवागमन
जौनपुर। गोमती नदी के तट पर स्थित रामघाट श्मशान स्थल शनिवार को एक दर्दनाक मंजर का गवाह बना। शुक्रवार को केराकत कोतवाली क्षेत्र के नाऊपुर के पास डंफर की चपेट में आने से मृत बाइक सवार दंपती और बेटे की चिता एक साथ जली तो लोगों का कलेजा फट गया। परिजन और नात-रिश्तेदारों के करुण क्रंदन से हर किसी की आंखों से आंसू झर-झर बहने लगे।
वाराणसी के सारनाथ निवासी पावरलूम मेें काम करने वाला सुभाष चंद्र (42) शुक्रवार की शाम अपनी पत्नी विद्यावती (38) और बेटे हर्षवर्धन (12) को हीरो होंडा स्प्लेंडर मोटर साइकिल पर बैठा कर सिरकोनी अपने साढ़ू के यहां मिलने जा रहा था। करीब सवा चार बजे सिंधोरा-थानागद्दी मार्ग पर स्थित झूला वनस्पति फैक्ट्री नाऊपुर के पास पहुंचा तभी पीछे से आ रहे डंफर ने टक्कर मार दी। दंपती और बेटा बाइक सहित गिर गए तो डंफर ने रौंद दिया। तीनों की मौके पर ही मौत हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों के शोर मचाते हुए बाइक से पीछा करने पर डंफर चालक हादसे के बाद करीब एक किलोमीटर दूर वाहन खड़ा कर भाग गया। क्रुद्ध भीड़ ने वाहन को क्षतिग्रस्त कर दिया। दुर्घटना से गुस्साए ग्रामीणों ने नारेबाजी करते हुए रास्ता जाम कर दिया। दुर्घटना की खबर लगने पर चौकी प्रभारी थानागद्दी राजेश गिरि सहयोगियों के साथ मौके पर पहुंच गए। केराकत के कोतवाल प्रशांत श्रीवास्तव भी आ गए। भीड़ पुलिस को शवों को कब्जे में नहीं लेने दे रही थी। उसकी मांग थी कि जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक मौके पर आएं। ग्रामीण आरोप लगा रहे थे कि पुलिस धन उगाही के फेर में ओवरलोड ट्रक, डंफर और अन्य भारी वाहनों को चलवाती है जिसके कारण आए दिन हादसे होते हैं। शांति व्यवस्था बनाए रखने को केराकत के तहसीलदार ज्ञानेंद्र सिंह, सीओ नृपेंद्र जलालपुर, चंदवक और जफराबाद थानों की पुलिस फोर्स सहित आ गए। भीड़ को समझा-बुझा कर किसी तरह पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने रास्ता जाम समाप्त कराया। तब जाकर पुलिस शवों को पोस्टमार्टम के लिए कब्जे में ले सकी। इसी दौरान हादसे की खबर लगने पर मृतकों के परिजन रोते-बिलखते मौके पर आ गए। मृतक के भाई जय प्रकाश की तहरीर पर पुलिस ने धारा 304 व 279 भा.द.वि. के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया। करीब तीन घंटे तक मार्ग पर वाहनों का आवागमन पूरी तरह ठप रहा।
रात में ही पुलिस ने शवों को जिला मुख्यालय भेज दिया। शनिवार को दोपहर बाद शवों का पोस्टमार्टम हुआ। परिजन ने पोस्टमार्टम हाउस से लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित रामघाट पर ही शवों की अंत्येष्टि करने का निर्णय लिया। श्मशान घाट पर तीन चिताएं सजाईं गईं। एक साथ तीनों चिताएं जलीं तो परिजन और सगे-संबंधी ही नहीं उपस्थित अन्य लोगों की आंखों से आंसुओं की धारा बह निकली। परिजन के करुण क्रंदन से रामघाट का मंजर हृदय विदारक हो गया।

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