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Wednesday, 8 November 2017

गोमती तट पर हुआ राम-केवट संवाद


दर्शकों की भीड़ हुई निहाल, जी भर की सराहना
   खुटहन (जौनपुर)। आदि गंगा गोमती नदी के तट पर बसा गांव शाहपुर सानी में मंगलवार की रात चौबाहे बाबा राम लीला समिति के तत्वावधान में आयोजित श्री राम-केवट संवाद का गवाह बना। कलाकारों के जीवंत अभियन से निहाल दर्शकों ने जी भर सराहना की।
रघुकुल रीति सदा चलि आई, प्राण जाय पर वचन न जाई। कैकेई के द्वारा अपने दो वरदान राजा दशरथ से माँगते ही पूरी अयोध्या में उदासी छा गई। पिता की आज्ञा के पालन के क्रम में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम, लक्ष्मण और जानकी अयोध्या से वनवास के लिए प्रस्थान किए। उधर, पुत्र  वियोग में महाराजा दशरथ के प्राण-पखेरू उड़ गए। इस लीला से दर्शक द्रवित हो गए। मंच से करीब तीन सौ मीटर दूर नदी तट पर अलग से एक मंच बनाया गया था। नदी में इस पार से उस पार तक लगाए गये बिजली के बल्वों से े घाट जगमगा रहे थे। यहां पानी मे अपनी नाव के साथ केवट पहले से मौजूद था। घाट पर स्वयं भगवान को देख वह पुलकित होकर चरण पकड़ लेता है। भगवान उसे गले लगाकर पार उतारने का निवेदन करते है। भक्ति रस से सराबोर केवट चरण पखारने के बाद पार ले जाने की जिद करता है। भक्त वत्सल भगवान उसकी अभिलाषा पूर्ण कर नाव में बैठ जाते हंै। जब नाव से उतराई में देवी सीता उसे अपनी अंगूठी देने लगती हैं तो वह कहता है कि जब आप चौदह वर्ष बाद पुन: वापस इसी रास्ते से आयेंगी तब उतराई दीजिएगा। भगवान उसकी भक्तिमय चातुर्यता पर मुस्करा कर रह जाते हंै। वास्तविक रूप से नदी में नाव पर बैठ कर भगवान के वन गमन के दृश्य को दर्शकों ने खूब सराहा। इससे पहले राम लीला का उद्घाटन अवकाश प्राप्त शिक्षक राम आनंद पाण्डेय ने किया। इस मौके पर भाजपा नेता अवधेश यादव, लालमनि प्रजापति, सुरेन्द्र यादव, कैलाश नाथ पाण्डेय, गिरजा शंकर यादव, राजकुमार यादव, नंद कुमार यादव, किशन गुप्ता आदि मौजूद रहे। संचालन आयोजक जितेंद्र यादव ने किया।

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