----सिटी बोर्ड-जौनपुर----
भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा की दावेदारों ने समर्थकों संग लखनऊ में डाला डेरा
जय आनंद
जौनपुर। सजनी को शहर का प्रथम नागरिक बनाने के लिए साजन हलाकान हैं। जी हां! चर्चा नगर पालिका परिषद जौनपुर के अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए टिकट की दावेदारी की हो रही है। अध्यक्ष पद महिला के लिए आरक्षित होने के बाद खुद अध्यक्ष बनने का सपना बिखरने के बाद प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता अपनी अद्र्धांगिनी को टिकट दिलाने के लिए दिल्ली से दौलताबाद एक करने वाली तर्ज पर जूझ रहे हैं। वजह टिकट दिलाकर मैदान मार लेने की सूरत में पर्दे के पीछे से स्थानीय सरकार की कमान उन्हीं के हाथ में ही रहेगी। सजनी को टिकट दिलाने के लिए वे तरकश के हर तीर आजमा रहे हैं। अधिकतर टिकट के दावेदार लखनऊ में डेरा डाले हुए हैं।
टिकट के लिए सबसे ज्यादा मारामारी सूबे में सत्तारुढ़ भाजपा में मची हुई है। वैसे तो टिकट के लिए कुल 24 दावेदार हैं लेकिन पार्टी में गहरी पैठ रखने वाले सूत्रों पर यकीन करें तो अंतिम दौर में तीन ही नाम पर विचार हो रहा है। इनमें भाजपा की जिला उपाध्यक्ष किरन श्रीवास्तव, सूबे के काबीना मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ ही विधान सभा चुनाव से पहले भाजपा का दामन थामने वाले उनके करीबी तेज बहादुर मौर्य की पत्नी सीमा मौर्या और भाजपा के जिला मंत्री नीरज सिंह की पत्नी नीतू सिंह हैं। किरन श्रीवास्तव दो दशक से पार्टी की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। पार्टी ही नहीं शहर का हर तबका उनसे परिचित है। बुधवार की शाम हुई बैठक में पार्टी के प्रांतीय हाईकमान किसी एक नाम पर सहमति नहीं बना सका। गुरुवार की सुबह फिर होने वाली बैठक में इन्हीं तीन में से किसी एक के उम्मीदवारी की नाम पर मुहर लगने की पूरी संभावना है। सीमा मौर्या और नीतू सिंह अपने-अपने साजन के भरोसे टिकट की दावेदारी कर रही हैं। खुद उनका संगठन और उसके कार्यक्रमों से कोई लेना-देना इससे पहले नजर नहीं आया है। इसी तरह से राजनीति से सर्वथा दूर रहने वाली संगीता श्रीवास्तव को उम्मीदवार घोषित कराने के लिए भाजपा के जिला मंत्री राजेश श्रीवास्तव बच्चा भईया एडवोकेट पिछला चुनाव में खेत रहे पंकज जायसवाल, पूर्व सभासद संतोष गुप्ता और कुछ अन्य नेता भी अपनी-अपनी पत्नी को टिकट दिलाने के लिए जौनपुुर से लेकर लखनऊ और दिल्ली तक की दौड़ लगा रहे हैं। इतना ही नहीं हाईकमान को लुभाने के लिए हर हथकंडे अपना रहे हैं। सीमा मौर्या पिछले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर करीब साढ़े आठ हजार वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहीं।
यही हाल मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी का है। खुद चुनाव लडऩे के लिए कई साल से जमीन तैयार कर रहे छात्र राजनीति से पार्टी में सक्रिय श्रवण जायसवाल अब अपनी सजनी ऊषा जायसवाल को प्रत्याशी बनवाने के लिए पूरी ताकत झोंके पड़े हैं। पार्टी के पूर्व शहर अध्यक्ष शकील अहमद अपनी बेगम अजमत जबीं तो रुखसार अहमद अपनी बीवी के लिए हलाकान हैं। वहीं पार्टी से उपेक्षित चचा शिवपाल सिंह यादव के करीबी जिला पंचायत सदस्य पप्पू रघुवंशी अपनी पत्नी सोनी रघुवंशी को टिकट दिलाने के लिए पूरी ताकत लगाए हुए हैं लेकिन होड़ में पूनम मौर्या अन्य दावेदारों को कड़ी टक्कर देती नजर आ रहाी हैं। ऊषा, अजमत जबीं और सोनी रघुवंशी जहां अपने-अपने पति के नाम पर दावेदारी जता रही हैं वहीं पूनम मौर्या ढाई दशक से भी ज्यादा समय से पार्टी में जिला से लेकर हाईकमान तक पहचान बनाए हुए हैं। वह समाजवादी युवजन सभा की जिला जिला उपाध्यक्ष, महिला सभा की जिला महासचिव, सपा की जिला कार्यकारिणी में दो बार सचिव और एक बार जिला महासचिव और प्रदेश कार्यकारिणी की सदस्य रह चुकी हैं। जुझारू तेवर वाली पूनम मौर्या पार्टी में किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। इन्हीं में से किसी एक को टिकट मिलने के आसार हैं।
बहुजन समाज पार्टी में टिकट के लिए दावेदारों की गिनती वैसे तो करीब आधा दर्जन है लेकिन फिलवक्त नंबर एक पर हैं तीन बार लगातार नगर पालिका परिषद अध्यक्ष रहे दिनेश टंडन की पत्नी माया टंडन। राजनीति से उनका भी दूर तलक का लेना-देना नहीं रहा है लेकिन पति की पार्टी में मजबूत पकड़ का फायदा उन्हें मिलता दिखाई दे रहा है। अन्य दावेदार भी अपने-अपने पति की राजनीतिक पहचान के सहारे खम ठोंक रही हैं। एकदम यही सूरत-ए-हाल कांग्रेस के टिकट के दावेदारों की है। पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे आदर्श सेठ अपनी पत्नी दीप माला सेठ तो पिछला चुनाव निर्दलीय लड़ चुकीं तिलकधारी महिला महाविद्यालय की प्राध्यापिका डा. चित्रलेखा सिंह, शहर के प्रमुख सराफा कारोबारी विमल सेठ अपनी पत्नी मंजू सेठ और वरिष्ठ नेता इंद्रसेन श्रीवास्तव के अनुज अजय श्रीवास्तव अपनी पत्नी हेमा श्रीवास्तव को टिकट दिलाने के लिए पूरा कस बल लगाए हुए हैं।
भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा की दावेदारों ने समर्थकों संग लखनऊ में डाला डेरा
जय आनंद
जौनपुर। सजनी को शहर का प्रथम नागरिक बनाने के लिए साजन हलाकान हैं। जी हां! चर्चा नगर पालिका परिषद जौनपुर के अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए टिकट की दावेदारी की हो रही है। अध्यक्ष पद महिला के लिए आरक्षित होने के बाद खुद अध्यक्ष बनने का सपना बिखरने के बाद प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता अपनी अद्र्धांगिनी को टिकट दिलाने के लिए दिल्ली से दौलताबाद एक करने वाली तर्ज पर जूझ रहे हैं। वजह टिकट दिलाकर मैदान मार लेने की सूरत में पर्दे के पीछे से स्थानीय सरकार की कमान उन्हीं के हाथ में ही रहेगी। सजनी को टिकट दिलाने के लिए वे तरकश के हर तीर आजमा रहे हैं। अधिकतर टिकट के दावेदार लखनऊ में डेरा डाले हुए हैं।
टिकट के लिए सबसे ज्यादा मारामारी सूबे में सत्तारुढ़ भाजपा में मची हुई है। वैसे तो टिकट के लिए कुल 24 दावेदार हैं लेकिन पार्टी में गहरी पैठ रखने वाले सूत्रों पर यकीन करें तो अंतिम दौर में तीन ही नाम पर विचार हो रहा है। इनमें भाजपा की जिला उपाध्यक्ष किरन श्रीवास्तव, सूबे के काबीना मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ ही विधान सभा चुनाव से पहले भाजपा का दामन थामने वाले उनके करीबी तेज बहादुर मौर्य की पत्नी सीमा मौर्या और भाजपा के जिला मंत्री नीरज सिंह की पत्नी नीतू सिंह हैं। किरन श्रीवास्तव दो दशक से पार्टी की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। पार्टी ही नहीं शहर का हर तबका उनसे परिचित है। बुधवार की शाम हुई बैठक में पार्टी के प्रांतीय हाईकमान किसी एक नाम पर सहमति नहीं बना सका। गुरुवार की सुबह फिर होने वाली बैठक में इन्हीं तीन में से किसी एक के उम्मीदवारी की नाम पर मुहर लगने की पूरी संभावना है। सीमा मौर्या और नीतू सिंह अपने-अपने साजन के भरोसे टिकट की दावेदारी कर रही हैं। खुद उनका संगठन और उसके कार्यक्रमों से कोई लेना-देना इससे पहले नजर नहीं आया है। इसी तरह से राजनीति से सर्वथा दूर रहने वाली संगीता श्रीवास्तव को उम्मीदवार घोषित कराने के लिए भाजपा के जिला मंत्री राजेश श्रीवास्तव बच्चा भईया एडवोकेट पिछला चुनाव में खेत रहे पंकज जायसवाल, पूर्व सभासद संतोष गुप्ता और कुछ अन्य नेता भी अपनी-अपनी पत्नी को टिकट दिलाने के लिए जौनपुुर से लेकर लखनऊ और दिल्ली तक की दौड़ लगा रहे हैं। इतना ही नहीं हाईकमान को लुभाने के लिए हर हथकंडे अपना रहे हैं। सीमा मौर्या पिछले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर करीब साढ़े आठ हजार वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहीं।
यही हाल मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी का है। खुद चुनाव लडऩे के लिए कई साल से जमीन तैयार कर रहे छात्र राजनीति से पार्टी में सक्रिय श्रवण जायसवाल अब अपनी सजनी ऊषा जायसवाल को प्रत्याशी बनवाने के लिए पूरी ताकत झोंके पड़े हैं। पार्टी के पूर्व शहर अध्यक्ष शकील अहमद अपनी बेगम अजमत जबीं तो रुखसार अहमद अपनी बीवी के लिए हलाकान हैं। वहीं पार्टी से उपेक्षित चचा शिवपाल सिंह यादव के करीबी जिला पंचायत सदस्य पप्पू रघुवंशी अपनी पत्नी सोनी रघुवंशी को टिकट दिलाने के लिए पूरी ताकत लगाए हुए हैं लेकिन होड़ में पूनम मौर्या अन्य दावेदारों को कड़ी टक्कर देती नजर आ रहाी हैं। ऊषा, अजमत जबीं और सोनी रघुवंशी जहां अपने-अपने पति के नाम पर दावेदारी जता रही हैं वहीं पूनम मौर्या ढाई दशक से भी ज्यादा समय से पार्टी में जिला से लेकर हाईकमान तक पहचान बनाए हुए हैं। वह समाजवादी युवजन सभा की जिला जिला उपाध्यक्ष, महिला सभा की जिला महासचिव, सपा की जिला कार्यकारिणी में दो बार सचिव और एक बार जिला महासचिव और प्रदेश कार्यकारिणी की सदस्य रह चुकी हैं। जुझारू तेवर वाली पूनम मौर्या पार्टी में किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। इन्हीं में से किसी एक को टिकट मिलने के आसार हैं।
बहुजन समाज पार्टी में टिकट के लिए दावेदारों की गिनती वैसे तो करीब आधा दर्जन है लेकिन फिलवक्त नंबर एक पर हैं तीन बार लगातार नगर पालिका परिषद अध्यक्ष रहे दिनेश टंडन की पत्नी माया टंडन। राजनीति से उनका भी दूर तलक का लेना-देना नहीं रहा है लेकिन पति की पार्टी में मजबूत पकड़ का फायदा उन्हें मिलता दिखाई दे रहा है। अन्य दावेदार भी अपने-अपने पति की राजनीतिक पहचान के सहारे खम ठोंक रही हैं। एकदम यही सूरत-ए-हाल कांग्रेस के टिकट के दावेदारों की है। पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे आदर्श सेठ अपनी पत्नी दीप माला सेठ तो पिछला चुनाव निर्दलीय लड़ चुकीं तिलकधारी महिला महाविद्यालय की प्राध्यापिका डा. चित्रलेखा सिंह, शहर के प्रमुख सराफा कारोबारी विमल सेठ अपनी पत्नी मंजू सेठ और वरिष्ठ नेता इंद्रसेन श्रीवास्तव के अनुज अजय श्रीवास्तव अपनी पत्नी हेमा श्रीवास्तव को टिकट दिलाने के लिए पूरा कस बल लगाए हुए हैं।
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