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Saturday, 18 November 2017

इतिहास से ही सुंदर भविष्य की कल्पना: प्रो.आरपी यादव


मो. हसन पीजी कालेज में उत्तर प्रदेश इतिहास कांग्रेस का अधिवेशन संपन्न 
   जौनपुर। राज्य विश्वविद्यालय इलाहाबाद के कुलपति प्रो. आरपी यादव ने कहा इतिहास दृष्टि और साधन है। यह सामाजिक परिवेशों को समझने और उसे व्याख्यायित करने का अवसर प्रदान करता है। इतिहास विशिष्टताओं को समेटे हुए है। इसी से हम अतीत से परिचित होते हैं। इसे देख कर ही सुंदर भविष्य की कल्पना की जा सकती है। वह शनिवार को मोहम्मद हसन पीजी कालेज में उत्तर प्रदेश इतिहास कांग्रेस के 28 वें अधिवेशन में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि इतिहास अतीत है जो कभी समाप्त नहीं होता बल्कि पूर्वगामी त्रुटियों को सुधार कर उज्ज्वल भविष्य बनाने में अहम भूमिका निभाता है। कोई भी क्षेत्र इतिहास से अछूता नहीं है। चाहे वह साहित्य, कला, विज्ञान, दर्शन का ही इतिहास क्यों न हो। इतिहास वर्तमान, भूत और भविष्य पर दृष्टिपात करता है। उन्होंने इतिहासकारों का आह्वान किया कि वे निष्पक्ष रूप से इतिहास लिखें जो देश एवं समाज के हित में सुखद हो और सामाजिक चेतना जागृत करे। अध्यक्षता करते हुए प्रो. किरन कुमार थपलियाल ने प्राचीन काल में प्रचलित लिपियों के बारे में जानकारी दी। कहा कि सैन्धव कालीन लेखन कला को मौर्य काल से जोडऩे का उल्लेख दिनेश चंद्र सरकार ने किया है। ब्राह्मी, आरमेइक, खरोष्ठिी, ग्रीक लिपि की भी चर्चा की। सैन्धव सभ्यता का व्यापार बाह्य जगत से स्थापित किया और श्रेणियों द्वारा निर्गत किए गए सिक्कों की भी चर्चा की। देवनागरी लिपि की उत्पत्ति ब्राह्मी लिपि से होना बताया। नवीन खोजों में कालीबंगा, श्रावस्ती आदि के उत्खनन से प्राप्त नवीन साक्ष्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि बिना लेखन के कोई भी सभ्यता नगरीय नहीं हो सकती।
प्रो. एसएनआर रिजवी ने उत्तर प्रदेश इतिहास कांग्रेस के गठन के उद्देश्य पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय को पूरब का आक्सफोर्ड कहा जाता है। 1935 में इतिहास के राष्ट्रीय संगठन की स्थापना हुई जो वर्तमान में इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस के नाम से जाना जाता है। उसमें केवल अंग्रेजी भाषा में ही संबोधन एवं शोध पत्र प्रकाशित होते थे जिससे हिन्दी भाषाई इतिहासकारों और शोध छात्रों को कठिनाई का सामना करना पड़ता था। इसी को ध्यान में रख कर 1985 में प्रो. राधेश्याम श्रीवास्तव इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने उत्तर प्रदेश इतिहास का गठन किया। इसमें शामिल इतिहासकार, शिक्षक और शोधार्थी हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में व्याख्यान दे सकते हैं। इसकी हर साल प्रोसेडिंग्स प्रकाशित होती है। उन्होंने कहा कि यह संस्था अंग्रेजी की विरोधी नहीं बल्कि हिंदी भाषा की प्रबल समर्थक है। उन्होंने कहा इतिहासकार देश के निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं। वर्तमान जर्मनी में पहले 360 पृथक राज्य थे किंतु उसके बारे में इतिहासकारों ने निरंतर लिखे जिससे वह एकीकृत होकर जर्मन देश बन गया। दिल्ली विश्वविद्यालय से आए प्रो. एसजेडएच जाफरी ने प्रो. राधेश्याम मेमोरियल पर व्याख्यान दिया। इससे पहले अधिवेशन का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ। कालेज के प्राचार्य डा. अब्दुल कादिर खां ने देश के विभिन्न राज्यों से आए इतिहासकारों का स्वागत करते हुए अंगवस्त्रम एवं स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। संचालन उत्तर प्रदेश इतिहास कांग्रेस के सचिव प्रो. अतुल सिन्हा ने किया।

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