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Friday, 10 November 2017

जब कट गये दरिया पर अब्बासके बाजू..



गमगीन माहौलमें मनाया गया शहीदाने करबलाका चेहलुम
कहीं सुपुर्द-ए-खाकतो कहीं सुपुर्द-ए-आब किये गये ताजिये
  जौनपुर। कर्बला के शहीदों का चेहलुम जिले में शुक्रवार को गमगीन माहौल में अकीदत के साथ मनाया गया। इस मौके पर जगह-जगह मजलिसें आयोजित हुई। जिसके बाद इमाम चौकों पर रखे गये ताजिये, शबीहे तुर्बत, अलम, जुलजनाह के साथ जुलूस करबला पहुंचा जहां गंजे शहीदों में ताजियों को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। नगर में मुफ्ती मोहल्ला, अली घाट और मोहल्ला कटघरा, बख्शा के रन्नो गांव में परम्परा के अनुसार ताजिये का जुलूस निकालकर नौहा मातम करती हुई अंजुमनों ने तुरबत व ताजियों को सुपुर्द-ए-आब किया। मुफ्ती मोहल्ला में गोमती नदी के अली घाट पर जबकि रन्नो में करबला के तालाब पर ताजियों को सुपुर्द-ए-आब किया गया।
नगर के मुफ्ती मोहल्ला का जुलूस गोमती नदी के अली घाट पर स्थित इमाम बारगाह से अंजुमन सज्जादिया के नेतृत्व में जुलस निकाला गया। इसके पूर्व मौलाना महफूजुल हसन ने मजलिस को खेताब करते हुए कहा कि करबला में हजरत इमाम हुसैन व उनके 71 साथियों की शहादत के बाद यजीदी हुकूमत ने उनके परिवार पर जुल्म ढाये यहां तक की महिलाओं को कैदी बनाकर बेपर्दा मदीना व कूफे की गलियों में घुमाया गया। सबसे पहले इमाम हुसैन की बहन जनाबे जैनब ने अपने भाई का चेहलुम मनाया आज हम सब मिलकर दरिया के किनारे उनके चेहलुम मना रहे है। इसके बाद जुलजनाह, अलम व ताबूत निकाला गया। मौलाना हसन अकबर ने अमारियों का ताअर्रुफ कराया। जिसके बाद ताजिये के साथ अमारियां बरामद हुई। जिसके हमराह नगर की सभी अंजुमनें नौहा मातम करती हुई गोमती नदी के अली घाट तट पर पहुंची जहां मौलाना रजी हैदर बिस्वानी व डा. कमर अब्बास ने तकरीर किया जिसके बाद अलम व तुर्बत को मिलाया गया। व्यापार मण्डल अध्यक्ष इंद्रभान सिंह इंदू ने कहा कि इमाम हुसैन की कुर्बानी का गम आज न सिर्फ मुसलमान बल्कि हिन्दू भी मनाता हैं। सुरक्षा के लिए शहर कोतवाल शशिभूषण राय अपने दल बल के साथ मौजूद रहे। इस मौके पर जुलूस संयोजक सैयद मेहदीउल हसन व हसन जाहिद खां बाबू ने लोगों का आभार प्रकट किया। इस मौके पर हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे। संचालन असलम नकवी व बाकर मेंहदी ने किया। अली कमेटी, हुसैन कमेटी, अब्बास कमेटी, हेजबुल्ला कमेटी के लोगों ने शबील का इंतजाम किया था। इसी क्रम में नगर के कटघरा मोहल्ले का जुलूस अपरान्ह तीन बजे उठाया गया। इसके पूर्व शिया धर्म गुरू मौलाना सफदर हुसैन जैदी ने मजलिस को खेताब किया। इसके बाद शबीहे जुलजनाह अलम, शबीहे ताबूत व ताजिये उठाये गये जिसके हमराह अंजुमन हुसैनिया बलुआघाट नौहा व मातम करती हुई कदीम रास्तों से होते हुए स्थानीय करबला में मौलाना की तकरीर के बाद तुरबत व ताजियों को सिपुर्द-ए-खाक किया गया।

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