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Sunday, 12 November 2017

टिकट देने में नौटंकी से कांग्रेस की जग हंसाई


बगावत कर निर्दल लड़ चुकीं चित्रलेखा को नेताओं की वर्चस्व की लड़ाई में मिला टिकट 
दीपमाला के पैरोकार नेताओं, कार्यकर्ताओं को साधना और मैदान मारना नहीं होगा आसान  
जय आनंद 
   जौनपुर। एक कहावत बहुत पुरानी है...कोढ़ में खाज होना। यह मुहावरा स्थानीय नगर निकाय चुनाव में नगर पालिका परिषद जौनपुर के  अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के चयन में कांग्रेस पर बहुत सटीक बैठता है। पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने गुटबंदी के दबाव में खूब नौटंकी की। इससे न सिर्फ निष्ठावान और समर्पित कार्यकर्ताओं  का एक बड़ा तबका नाराज हो गया है बल्कि पार्टी की खूब छीछालेदर भी हो रही है। दूसरे दल ही नहीं बल्कि खुद उसके अपने लोग भी तंज कस रहे हैं।
नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस के टिकट के दावेदारों की संख्या आधा दर्जन के आस-पास थी। पिछले चुनाव में चौंकाने वाले अंदाज में करीब साढ़े बारह हजार वोट हासिल कर दूसरे नंबर पर रहने वाले आदर्श सेठ की पत्नी दीपमाला सेठ की दावेदारी सबसे तगड़ी मानी जा रही थी। दूसरे नंबर पर थीं शहर के प्रमुख सराफा व्यापारी विमल सेठ की पत्नी मंजू सेठ। इन्हीं के बीच जोर-आजमाइश चल रही थी। इसी बीच व्यक्तिगत कारणों से मंजू सेठ ने टिकट की दावेदारी वापस ले ली। इसके बाद तो दीपमाला का नाम लगभग तय मान लिया गया था। हुआ भी ऐसा ही। बुधवार की देर शाम कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने दीपमाला सेठ को पार्टी का अधिकृत उम्मीदवार घोषित किए जाने संबंधी पत्र जारी कर दिया। दीपमाला सेठ ने गुरुवारको नामांकन पत्र भी भर दिया। दीपमाला को टिकट मिलने को पार्टी के दूसरे गुट के नेताओं को संगठन पर वर्चस्व की लड़ाई में अपनी शिकस्त सी लगी और वे टिकट कटवाने के लिए सभी दांव-पेंच चलने लगे। इस गुट में एकजुट हुए पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह मुन्ना, प्रदेश उपाध्यक्ष पूर्व एमएलसी सिराज मेंहदी, महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री  कृपा शंकर सिंह, कांग्रेस के प्रदेश मंत्री राजेश सिंह ने बनारस के पूर्व सांसद राजेश मिश्र को भी साथ लेकर प्रदेश नेतृत्व पर डा. चित्रलेखा सिंह को टिकट देने के लिए दबाव बनाया। गुरुवार को प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर के हस्ताक्षरयुक्त पत्र से दीपमाला की जगह डा. चित्रलेखा सिंह को उम्मीदवार घोषित कर दिया गया। तब शुक्रवार को डा. चित्रलेखा सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में तो दीपमाला ने निर्दल उम्मीदवार के तौर पर दूसरा नामांकन पत्र भर दिया।
इसके बाद दीपमाला सेठ के पैरोकार पूर्व विधायक नदीम जावेद, जिलाध्यक्ष इंद्रभुवन सिंह और अन्य नेताओं ने इसे अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया और अपनी नाराजगी पार्टी हाईकमान तक पहुंचा दी। राज बब्बर तीसरी बार अपना निर्णय बदलने को मजबूर हो गए। उन्होंने डा. चित्रलेखा सिंह की जगह फिर दीपमाला को प्रत्याशी बनाए जाने का पत्र जारी करने के साथ ही फैक्स के जरिए पत्र की प्रति जिला निर्वाचन अधिकारी को भेज दी। लखनऊ से पत्र की मूल प्रति आने में देर हो गई और शुक्रवार को नामांकन अपराह्न तीन बजे की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद निर्वाचन अधिकारी को सौंपी जा सकी। दो दिनों तक चली उठापटक और ऊहापोह के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं ही नहीं आम मतदाताओं के बीच भी अटकलें लगाई जाने लगीं कि उम्मीदवार कौन होगा दीपमाला सेठ या डा. चित्रलेखा सिंह। गेंद अब निर्वाचन अधिकारी के पाले में थी। शनिवार को नामांकन पत्रों की जांच के दौरान दोनों पक्ष निर्वाचन अधिकारी के समक्ष अपने-अपने तर्क रखे। निर्वाचन अधिकारी ने इस आधार पर दीपमाला सेठ का कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में दाखिल नामांकन निरस्त कर दिया कि अधिकृत किए जाने संबंधी प्रदेश अध्यक्ष का पत्र उन्हें निर्धारित समय के बाद मिला। उम्मीदवार चयन में हुई नौटंकी से कांग्रेस की जग हंसाई ही नहीं आम जन के बीच खूब छीछालेदर भी हो रही है। गुटबंदी और खींचतान में नतीजा क्या निकलेगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। यहां यह भी बता दें, कि डा. चित्रलेखा सिंह ने पिछली बार भी टिकट के लिए दावेदारी की थी। आदर्श सेठ के टिकट मिलने के बाद बागी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लडऩे के कारण उन्हें पार्टी से निष्कासित भी कर दिया गया था।
     

मैदान नहीं छोड़ेंगी, निर्दल लडेंग़ी दीपमाला
   जौनपुर। दीपमाला सेठ ने निर्दल चुनाव लडऩे का फैसला कर लिया है। उन्होंने साफ तौर पर कह दिया है कि अब तो मैदान छोडऩे का सवाल ही नहीं उठता। मान-सम्मान और स्वाभिमान से बढ़ कर कुछ नहीं है। बता दें, करीब छह महीने पहले माता जी का देहांत होने के कारण आदर्श सेठ चुनाव लडऩा नहीं चाहते थे। उन्होंने अपने इस निर्णय से जिला संगठन और पार्टी नेताओं को अवगत करा दिया था। जब परिसीमन में अध्यक्ष पद महिला के लिए आरक्षित हो गया तो पिछले विधान सभा चुनाव के समय ही बसपा से कांग्रेस में घर वापसी करने वाले कभी पार्टी के दिग्गज नेताओं मेंं शुमार प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री जगदीश नारायण राय, निवर्तमान विधायक नदीम जावेद, जिला अध्यक्ष इंद्र भुवन सिंह और कई अन्य नेताओं के दबाव बनाने पर उन्होंने अपनी पत्नी दीपमाला सेठ को मैदान में उतारने का मन बनाया और टिकट के लिए संगठन के पास आवेदन किया था।  

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