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Saturday, 4 November 2017

कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

मेलों में खेती-किसानी और गृहस्थी के सामानों की हुई जमकर खरीददारी 

शहर मेें सूरज घाट और खुटहन के पिलकिछा घाट पर स्नानार्थियों का सैलाब 

जौनपुर। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर नदियों और सरोवरों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। जिले मेंं विभिन्न स्थानों पर लाखों श्रद्धालुओं ने आदि गंगा गोमती और अन्य नदियों तथा सरोवरों मेें डुबकी लगाई। अन्न दान कर पुण्य अर्जित किया। शहर में सूरज घाट और खुटहन में पिलकिछा में स्नानार्थियों की भारी भीड़ जुटी। दोनों स्थानों पर लगे मेले में महिलाओं ने घरेलू उपयोग के सामानों की खरीददारी की।
शहर में सूरज घाट पर परंपरागत ढंग से लगने वाले कार्तिक पूर्णिमा के मेले में शहर और ग्रामीणांचलों  से स्नानार्थियों खास तौर पर महिलाओं का रेला उमड़ पड़ा। बड़ी संख्या में स्नानार्थी रात में ही आकर मेला क्षेत्र में डेरा डाल दिए थे। तड़के से ही आदि गंगा गोमती में शुरु हुआ स्नान का क्रम दोपहर बाद तक चलता रहा। करीब एक किलोमीटर मेला क्षेत्र में महिलाओं ने चोटहिया जलेबी, चाट, बच्चों ने खिलौनों की खरीददारी की। महिलाओं घरेलू उपयोग के सामानों की भी खरीददारी की। मेला क्षेत्र में गीतांजलि और अन्य संस्थाओं ने शिविर लगाकर स्नानार्थियों को सेवा प्रदान की।
खुटहन संवाददाता के मुताबिक कार्तिक पूर्णिमा पर पिलकिछा तिलवारी गाँव के गोमती नदी घाट पर उमड़े श्रद्धालुओं ने स्नान दान कर पुण्य अर्जित किया। स्नान के बाद श्रीराम जानकी मंदिर में पूजन-अर्चन किया। मान्यता है कि जब भगवान श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त कर पुष्पक विमान से देवी सीता, लक्ष्मण और वीर वानरों के साथ वापस अयोध्या लौट रहे थे। तब उनका विमान कुछ देर के लिए यहाँ रुका था। सभी ने इसी घाट पर स्नान व पूजा अर्चना की थी। किंवदंती है कि इसी के बाद गांव का नाम पिलकिछा और नदी उस पार के गाँव का नाम तिलवारी रखा गया था। बाद में ग्रामीणों की मदद से यहाँ राम जानकी मंदिर बनाया गया। जहां लोग नियमित रूप से पूजा पाठ करते हंै। यहाँ चलने वाले साप्ताहिक मेला में खेती-किसानी और गृहस्थी के सामानों की खरीद को लेकर विख्यात है। मिट्टी के बर्तन और गट्टा यहाँ का मेले का प्रमुख आकर्षण हैं। यहां दो से पांच किलो तक के गट्टे ने ग्राहकों कोआकर्षित किया। इसके अलावा जिले भर में पवित्र नदियों और सरोवरों में लोगों ने स्नान कर दान किया।

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