खुटहन उपद्रव मामले में किया सरेंडर, कोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका
जौनपुर। खुटहन उपद्रव में शुक्रवार को विधायक शैलेंद्र उर्फ ललई यादव को अंतत: जेल जाना पड़ा। हाईकोर्ट के अंतरिम जमानत संबंधी दिशा निर्देश का हवाला देते हुए एसीजेएम चतुर्थ के न्यायालय में आत्मसमर्पण किए। जमानत निरस्त होने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम अजय त्यागी की अदालत में अंतरिम जमानत प्रार्थना पत्र दिया। किसी पुलिस कर्मी को आग्नेयास्त्र की चोट न होने, आग्नेयास्त्र की बरामदगी न होने एवं राजनीतिक विद्वेषवश फंसाए जाने का उनके अधिवक्ताओं ने हवाला दिया।
कोर्ट ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए अंतरिम जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया। नियमित जमानत की सुनवाई के लिए 4 दिसंबर तिथि नियत किया। सुनवाई के दौरान विधायक पारसनाथ यादव, जगदीश सोनकर, लालबहादुर यादव, राजनाथ यादव व अन्य नेता व समर्थक मौजूद थे। बवाल की आशंका के मद्देनजर काफी संख्या में पुलिस बल चप्पे-चप्पे पर तैनात रहे। प्रथम मामले में थानाध्यक्ष खुटहन ने धनंजय, ललई, प्रिंशू समेत 11 नामजद व 150 अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराया था कि 6 नवंबर को खुटहन ब्लाक प्रमुख अविश्वास प्रस्ताव के लिए वोटिंग के दौरान आरोपियों ने समर्थकों के साथ रास्ता अवरुद्ध किया और वाहनों पर पथराव किया। जमकर हवाई फायरिंग व तोडफ़ोड़ किया। सांसद हरिवंश के काफिले की स्कार्पियो फूंक दिया। द्वितीय मामले में महिला थाना की थानाध्यक्ष तारावती ने प्राथमिकी दर्ज कराया था कि 6 नवंबर 2017 को खुटहन ब्लाक प्रमुख अविश्वास प्रस्ताव में वह हमराहियों के साथ ड्यूटी पर ब्लाक जा रही थी। ब्लाक से पहले पचास-साठ लोग गाड़ी रोक दिए। विधायक ललई ने उनका हाथ पकड़ा तथा हमराहियों से दुर्व्यवहार किए। घटना की रिकार्डिंग कर रही पुलिस कर्मी शीला यादव का मोबाइल तथा गाड़ी की चाबी जबरन छीन लिए। उसने ब्लाक कैंपस में भाग कर अपनी जान बचाई। आरोपियों ने कार्य में व्यवधान डाला। दोनों मामलों में एफआईआर निरस्त करने की मांग को लेकर विधायक हाईकोर्ट गए। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि 30 दिन के भीतर लोअर कोर्ट में उपस्थित होकर जमानत प्रार्थना पत्र देने पर अदालत घटना की गंभीरता को देखते हुए उसका त्वरित निस्तारण करेगी। अब सोमवार को जिला अदालत में ही नियमित जमानत पर सुनवाई होगी।
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