प्रधानी के तीन कार्यकाल में अर्जित कर ली अकूत संपदा
ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र,जांच कराने का आग्रह
बदलापुर (जौनपुर)। प्रधान बनते ही लग गई लॉटरी। प्रधानी के तीन कार्यकाल में अकूत संपत्ति बना ली। बदलापुर विकास खंड के सरोखनपुर गांव के निवर्तमान प्रधान फूलचंद्र विश्वकर्मा की आय से अधिक संपत्ति की शिकायत ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजे गए रजिस्टर्ड पत्र के माध्यम से की है। इसकी प्रति लोकायुक्त लखनऊ और जिलाधिकारी को भी भेजी गई है। पत्र में जांच कर प्रधान के विरुद्ध कार्रवाई किए जाने का आग्रह किया गया है।
मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि अपने प्रधानी के तीन कार्यकाल में फूलचंद्र विश्वकर्मा ने सरकार को हर महीने लाखों की चपत लगाई। वृद्धा, विधवा और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों की पेंशन का हक मार कर तथा ग्राम पंचायत में स्थित तीन विद्यालयों में जिम्मेदार लोगों की मिलीभगत से फर्जी छात्र संख्या के जरिए वजीफा हड़प कर अकूत संपदा बना ली है। प्रधान बनने से पहले दूसरों के यहां मजदूरी कर परिवार की आजीविका चलाने वाले फूलचंद्र विश्वकर्मा ने सरकारी योजनाओं में लूट-खसोट कर अर्जित धन से पंद्रह साल के दौरान एक एकड़ से अधिक भूमि का मालिक बन बैठा। इसमें ग्राम समाज लैंड भी है जिसे उसने कागजी बाजीगरी कर हथिया लिया। ग्राम समाज की भूमि का ही बैनामा कराने के बाद दो मंजिला भवन निर्माण करा कर अपने पिता राजपति विश्वकर्मा के नाम पर इंटर कालेज संचालित कर रखा है। वाराणसी-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग पर दो दोमंजिला भवन बनवाने के साथ ही एक आवासीय भू खंड का बैनामा करा रखा है। इतना ही नहीं फूलचंद्र विश्वकर्मा के पास दो चार पहिया और दो दोपहिया वाहन भी हैं। इसके अलावा सरोखनपुर, मुरादपुर गांव सहित अन्य शहरों में उसने आवासीय और कृषि योग्य भूमि खरीद रखी है। ग्रामीणों का कहना है कि पंद्रह साल पहले तक मेहनत मजदूरी करने वाले शख्स के पास आखिर इतनी संपत्ति कहां से आ गई यह जांच का विषय तो है ही। पत्र में ग्रामीणों ने पूरे प्रकरण की जांच करा कर कार्रवाई किए जाने का आग्रह किया है। पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में सुभाष सिंह, दिनेश कुमार सिंह, सुबाष चंद्र यादव, राजेंद्र यादव, त्रिवेणी सिंह आदि ग्रामवासी हैं।
फूलचंद्र ने कहा, आरोप निराधार
बदलापुर (जौनपुर)। पूर्व प्रधान फूलचंद्र विश्वकर्मा ने कहा कि उनके ऊपर लगाए गए आरोप निराधार हैं। प्रधान पद पर रहते हुए न तो उन्होंने ग्राम समाज की जमीन पर कब्जा किया है और न ही अनियमितता कर अवैध संपत्ति अर्जित की है। उनकी बढ़ती लोकप्रियता से बौखलाए कुछ लोग अनुचित दबाव बनाने के लिए उन पर मिथ्या आरोप लगा रहे हैं। जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
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