BREAKING NEWS

Sunday 29 October 2017

मोमिन की नमाज, नबी की आंखों की ठंडक -मौलाना असद


जौनपुर। नमाज एक ऐसी इबादत है जो किसी भी हालत में माफ़ नहीं है। नमाज नबी-ए-करीम (सअव) के आखों की ठंडक है। पांच वक्त की नमाज पढऩे वाला मोमिन हमेशा पाक और साफ़ रहता है। नमाज पढऩे से मोमिन के गुनाह माफ़ होते हैं और अल्लाह उस बन्दे से खुश रहता है। नमाज पढऩे से आपसी एखलाक और भाई चारा और एक दूसरे की मुसीबत में शरीक होने का जज्बा बढ़ता है। इसलिए आज के दौर में नमाज की पाबंदी हर मोमिन के लिए बहुत जरूरी है।
यह बात नगर के पुरानी बाजार में आयोजित अंजुमन जलस-ए-केरत को संबोधित करते हुए जामिया हुसैनिया लाल दरवाजा के मौलाना मोहम्मद असद कासमी ने कही। उन्होंने कहा  आज का मोमिन नमाज से दूर होता जा रहा है जिसकी वजह से जो परेशानियों का सबब है। हर मोमिन का यह फर्ज है कि वह खुद नमाज पढ़े। अपने बच्चों को भी नमाज पढऩे की तम्बीह करे और दूसरों को भी नमाज में अपने साथ मस्जिदों में लेकर जाए। एक हदीस का हवाला देते हुए उन्होंने कहा की नबी-ए-करीम सअ ने फरमाया की मोमिन की नमाज मेरे आखों की ठंडक है। नमाज पढऩे से आपसी एखलाक बढ़ता है, मोहब्बत बढ़ती है और सबसे बड़ी बात तो यह है की जब मोमिन नमाज से फारिग होता है तो उसे बेंइन्तेहा सुकून मिलता है। बावजूद इसके मुसलमान नमाज से गाफिल है जिसकी वजह से वह परेशान है। इसलिए हर मोमिन को यह चाहिए की वह नमाज पढ़े और अल्लाह से बसद ख़ुलूस अपने गुनाहों की मग्फेरत कराये साथ ही जो मांगना हो वह अल्लाह से मांगे क्यूकि अल्लाह बहुत ही करीम और रहम वाला है। जलसे का आगाज कारी जिया ने तिलावते कलामे पाक से किया। इसके बाद आजमगढ़ से आये नौशाद अहमद आजमी, पीसी विश्वकर्मा, मौलाना ताज, शादाब आजमी, मौलाना मोहम्मद सलमान, अब्दुल वहाब कुरैशी ने नाते नबी का नजरानए अकीदत पेश किया। इस मौके पर मोहम्मद फैजान , मंसूब कुरैशी, आसिफ कुरैशी, अरशद कुरैशी, मुहम्मद दानिश हाशमी, मोहम्मद अशरफ सहित सैकड़ों लोग जलसे में उपस्थित रहे।

Post a Comment

धर्म दर्शन

 
Copyright © 2017 आज प्रभात