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Friday 22 December 2017

हजारों मुसलमान अमेरिका के खिलाफ सड़क पर उतरे


 
बाद नमाज जुमा जुलूस निकाल कर कोतवाली चौराहा पर किया प्रदर्शन 
सभामें मुस्लिम धर्मगुरु बोले, हर कीमत पर लेकर रहेंगे मस्जिद-ए-अक्सा
   जौनपुर। यरुशलम को इसराइल की राजधानी घोषित करने के अमेरिका के फैसले से मुसलमान भड़क उठे हैं। शुक्रवार को जमाज-ए-जुमा के बाद हजारों की तादाद में मुसलमान शहर के अति व्यस्त कोतवाली चौराहा पर जुट गए। उन्होंने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए एहतेजाजी जलसा किया। कहा कि मस्जिद-ए-अक्शा मुसलमान हर कीमत पर लेकर रहेंगे। उन्होंने राष्ट्रपति और प्रदेश के राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन की प्रति जिलाधिकारी के प्रतिनिधि के रूप में आए सिटी मजिस्टे्रट को सौंपा।
 
  पूर्व निर्धारित विरोध प्रदर्शन के कार्यक्रम के तहत जुमा की नमाज के बाद अटाला मसजिद, बड़ी मसजिद  और शिया जामा मसजिद सहित विभिन्न मसजिदों से हजारों की संख्या में मुसलमान अमेरिका के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कोतवाली चौराहा पर पहुंचे। प्रदर्शनकारी अपने हाथों में अमेरिका और राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ नारे लिखे तख्तियां लिए हुए थे। प्रदर्शन के दौरान हुई सभा में संयोजक अनवारुल हक गुड्डू ने कहा कि यरूशलम का पूरा हिस्सा फलीस्तीनियों का है। उसी जगह मुस्लिमों का पहला किब्ला मस्जिद-ए-अक्सा है जबकि अमेरिका व यहूदियों की पालिसी रही है कि मुस्लिमों को नीचा दिखाने के साथ ही उन्हें नुकसान पहुंचाया जाए। पूर्व विधायक हाजी अफजाल अहमद, मुसलिम धर्मगुरुओं मौलाना महफूजुल हसन खां, मौलाना सफदर हुसैन जैदी, मौलाना तौफीक, अहमद कासमी, मौलाना मोहिउद्दीन, अहमद जाफरी, मौलाना मुर्तजा मदनी, मौलाना क्यामुद्दीन, मौलाना आफाक, कारी जिया जौनपुरी ने कहा कि अमेरिकी राष्टï्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के इस कदम से पूरी दुनिया के मुसलमानों में गम व गुस्से का माहौल है। हर तरफ अमेरिका की इस पालिसी के विरोध में लोग सड़क पर उतर गए हैं। अमेरिका का यह फैसला दुनिया के तमाम मुसलमानों व संयुक्त राष्टï्र की अवहेलना है। बैतुल मुकद्दस से दुनिया के हर मुसलमानों का दीनी व शरई रिश्ता है। जुलूस में शामिल लोग मस्जिदे अक्सा जिन्दाबाद, किब्ला-ए-अव्वल जिन्दाबाद, इजराइल मुर्दाबाद, अमेरिका मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए चल रहे थे। राष्ट्रपति और राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन की प्रति सभा के बाद जिलाधिकारीेे प्रतिनिधि के रूप में आए सिटी मजिस्टे्रट इंद्र भूषण वर्मा को सौंपा। इसमें मांग की गई है कि भारत पूर्व की भांति फलस्तीन से रिश्ते बेहतर करे और इजराइल से सारे सम्बन्ध समाप्त कर दे। उसके दूतावास को भी बंद कर दे। भारत यरुशलम को तुरंत फिलिस्तीन की राजधानी घोषित करे और अन्तर्राष्टï्रीय स्तर पर अमेरिका की पालिसी की कड़े शब्दों में निन्दा करे। कूटनीति का सहारा लेते हुए अमेरिका पर यह दबाव डाला जाय कि वह अपनी पालिसी में बदलाव लाये और अपने फैसले रद्द करे। भारत सरकार अन्तर्राष्टï्रीय मानवाधिकार आयोग पर दबाव डाले कि इजराइल द्वारा फिलिस्तीन पर दमनात्मक रवैया बन्द करे। जुलूस में डा. शकील अहमद, मेंहदी रजा एडवोकेट, डा. हसीन, असलम शेर खां, अलीम सिद्दीकी, साजिद अलीम, मसूद मेंहदी, इरशाद खां, बादशाह, फिरोज अहमद, कमालुद्दीन अंसारी, इरशाद मंसूरी, सदफ, डा. शमीम, मजहर आसिफ, शकील मंसूरी, हफीज शाह, डा. अर्शी नवाज, एजाज अहमद, आदिल सिद्दीकी, शहजादे खां, मो. साकिब, डा. राहिल, तहसीन शाहिद, अनवार आब्दी, मो. रजा, अनीस अहमद, रेयाज, ताहिर शेखू, अन्सार इदरीसी आदि शामिल रहे। इसी क्रम में बैतुल मुक्कदस की बहाली व अमेरिका द्वारा येरुशलम को राजधानी बनाये जाने के विरोध में शिया समुदाय के महा संगठन आजादारी काउंसिल के यूथ फ्रंट के अध्यक्ष तालिब रजा शकील व एमएम हीरा के नेतृत्व में शाही पुल पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का पुतला दहन किया। जहां अमेरिका हाय-हाय व इजराइल मुर्दाबाद के नारे लगाए गए। जुलूस में मौलाना आबिद रजा, मौलाना नजफ, एएम डेजी, असलम नकवी, तहसीन अब्बास सोनी आदि उपस्थित रहे। विरोध प्रदर्शन के दौरान शहर कोतवाल शशि भूषण राय सहयोगियों के साथ शांति व्यवस्था सुनिश्चित करने में जुटे रहे।

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