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Tuesday 26 December 2017

मारीशस का भारत से खून का रिश्ता

भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन मारीशस की चेयरमैन डा. सरिता बुुधु ने कहा 
भोजपुरी के नाम पर फिल्मों और गीतों में अश्लीलता परोसना अनुचित
   जौनपुर। भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन मारीशस की चेयरमैन डॉ. सरिता बुधु ने कहा कि भोजपुरी के नाम पर अश्लीलता परोसना अनुचित है। भोजपुरी फिल्में और गीत ऐसे होने चाहिए जिसे पूरा परिवार एक साथ देख-सुन सके। भोजपुरी फिल्म निर्माताओं और गायकों को इस पर गौर करना चाहिए। वह मंगलवार को लोक निर्माण विभाग के डाक बंगले में पत्रकारों से वार्ता कर रही थीं। काफी प्रयास के बाद अपने पुरखों की जन्मस्थली खोज लेने की खुशी उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी।  उन्होंने कहा मारीशस का भारत के साथ खून का रिश्ता है।
 
   मारीशस स्थित महात्मा गांधी से पूर्वजों का नाम-पता लेकर इसी सिलसिले एक बार फिर भारत के दौरे पर आईं सरिता बुधू को पांच दिन पहले सफलता मिल ही गई। उन्होंने बताया कि उनके पूर्वज माखन सिंह महज 18 वर्ष की उम्र में 21 सितंबर 1872 को अपने गृह गांव दरामपुर जिला-बलिया की माटी का तिलक लगा कर गिरमिटिया मजूदरों के साथ मारीशस चले गए। वहीं उन्होंने अपनी दुनिया बसा ली। इसके बाद स्वदेश नहीं लौटे। मैं उनकी चौथी पीढ़ी की हूं। मेरी बचपन से ही अपने पुरखों का गांव जानने की ख्वाहिश थी। काफी प्रयास के बाद आखिरकार मेरी साध पूरी हो गई। मैंने पांच दिन पहले दरामपुर जाकर अपने खून के रिश्तेदारों से मिली। गांव की माटी का तिलक लगाया। यह सब बताते हुए उनकी आंखों में खुशी के आंसू  आ गए। डा0 सरिता ने कहा कि मारीशस का भारत से खून का रिश्ता है। मारीशस में बसे अधिकतर लोगों के पूर्वज जौनपुर, गोरखपुर, फैजाबाद, आजमगढ़, बलिया, देवरिया, वाराणसी समेत पूर्वाचंल के अन्य जनपदों के ही हैं। मेरी तरह हजारों मारीशसवासी अपने पुरखों का मूल गांव तलाश रहे हैं। हम लोगों ने मारीशस में भारत की सभ्यता, संस्कृति और कला को संजो रखा है। खास तौर पर भोजपुरी भाषा को। मारीशस में आने वाली पीढ़ी के लिए 125 स्कूल खोले गए हैं। अगले साल मारीशस की 50 वीं वर्षगांठ है। इस मौके पर और करीब 150 स्कूलों की स्थापना की जाएगी। इससे पहले डाक बंगले पहुंचने पर वहां मौजूद राज्य मंत्री गिरीश चंद्र यादव ने राज्य अतिथि के तौर पर डा. सरिता बुुधु की अगवानी की।

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