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Wednesday 27 September 2017

शिव धनुष टूटतेही जय श्रीरामके उद्घोषसे गूंजा क्षेत्र

सोमवारको नारद मोह एवं मंगलवारको धनुष यज्ञकी लीलाका हुआ मंचन
जफराबाद। श्री बाल रामलीला समिति जफराबाद के कलाकारों द्वारा मंगलवार को ताड़का वध, सुबाहु वध एवं धनुष यज्ञ की लीला का सजीव मंचन किया गया। भगवान राम द्वारा शिव धनुष को भंग करते ही रामलीला परिसर जै श्री राम के उद्घोष से गूंजा उठा। राक्षसों के आतंक से परेशान विश्वामित्र यज्ञ की रक्षा के लिए अयोध्या मेंं राजा दशरथ के यहां पहुंचकर उनके पुत्र राम-लक्ष्मण की मांग करते हैं।
पुत्रमोह में बधे हुए राजा दशरथ विश्वामित्र को पुत्र राम व लक्ष्मण को सौंपने से इनकार कर देते हैं। महर्षि वशिष्ठ के समझाने पर राजा दशरथ अपने पुत्र राम व लक्ष्मण को ऋषि विश्वामित्र को सौंप देते हैं। मुनि विश्वामित्र जब राम व लक्ष्मण को लेकर आश्रम को चलते हैं तो रास्ते में उनकी भेंट राक्षसी ताड़का से होती है। ताड़का का वध करने के बाद राम व लक्ष्मण आश्रम पहुॅचते है। वहां पर दशरथनन्दन राम ने विश्वामित्र के यज्ञ को विध्वंस करने आये सुबाहु राक्षस व उसकी सेना का वध करते है और मारीच को बिना फर का बाण मारकर सौ योजन दूर भेज देते है। इसके बाद राजा जनक के बुलावे पर महर्षि विश्वामित्र राम व लक्ष्मण जी को लेकर सीताजी के स्वयंबर में भाग लेने हेतु जनकपुर पहुंचते है, जहां पर भगवान राम शिव के धनुष को तोड़कर जनकनन्दिनी सीता से वरमाला पहनते हैं। जिस शिव धनुष को स्वयंबर में अन्य देशों से आये राजा-महराजा हिला तक भी नहीं पाते हैं उस शिव धनुष को प्रभु श्री भगवान राम द्वारा तोड़ते ही रामलीला स्थल भगवान जै श्री राम के जयकारों से गूंज उठा। उसके बाद राजा जनक के दरबार में पहुंचें भगवान परशुराम जी का शिव धनुष तोडऩे को लेकर लक्ष्मण जी संवाद होता है। परशुराम जी को जब ज्ञात होता है कि श्री हरि विष्णु रामावतार ले चुके हैं तो भगवान राम से अपना शंका समाधान कराने के बाद उन्हें आर्शीवाद प्रदान कर वहां से लौट जाते हैं। बीते सोमवार को श्री बाल रामलीला समिति के कलाकारों द्वारा नारद मोह की लीला का सजीव मंचन किया गया। इस अवसर पर दीनानाथ निगम, जबन्दिर साहू, गुड्डू शर्मा, राजेन्द्र साहू, बृजनन्दन स्वरूप, छोटेलाल जायसवाल, विमल निगम आदि उपस्थित रहे।

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